पर्यावरण प्रेम और पर्यावरण जागरुकता का जीता जागता उदाहरण देखना हो, तो डॉ. बी.सी. जाट पर यह खोज खत्म हो जाती है। पर्यावरण संरक्षण से ताल्लुक रखने वाली समस्याओं और संभावनाओं के प्रति बेहद संवेदनशील डॉ. जाट की मात्र 37 वर्ष की उम्र में भूगोल पर अब तक 25 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. जाट राष्ट्रीय स्तर पर 'मेदिनी पुरस्कार' और 'पृथ्वी विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार' से भी सम्मानित हो चुके हैं।
मैरिट में बनाया स्थान
प्रसिद्ध पर्यावरणविद और भूगोलवेत्ता डॉ. बी. सी. जाट अपने अध्ययन-अध्यापन के जरिए राष्ट्रीय-अन्तरर्राष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान रखते हैं। डॉ. जाट का जन्म जयपुर की चर्चित आमेर तहसील के गांव रामपुरा डाबड़ी के किसान परिवार में 15 फरवरी 1972 को हुआ। रामपुरा डाबड़ी से ही प्रारम्भिक शिक्षा लेने वाले जाट ने उच्च माध्यमिक शिक्षा चौमूं से बोर्ड मैरिट में स्थान बनाया। राजस्थान विश्वविद्यालय से 1999 में एम.फिल और पीएचडी की डिग्री लेने वाले डॉ. जाट ने भारतीय सूदूरसंवेदन संस्थान, देहरादून से जल प्रबंधन एवं रिमोट सेंसिंग पर अध्ययन पूरा किया।
पर्यावरण को समर्पित जाट
शुरू से ही नैसर्गिक प्रतिभा के धनी डॉ। जाट पर्यावरण के प्रति जागरूक रहे और रामपुरा डाबड़ी में न्यू चिल्ड्रन एकेडमी संस्था स्थापित करके अपनी शुरूआत की। जिसके जरिए जल एवं पर्यावरण प्रबंधन पर कार्य किया। घटते भूजल पर नियंत्रण के लिए बागवानी विकास पर कैंप लगवाए और इलाके में बड़ी संख्या में पौधरोपण करवाया, जो आज भी मिसाल है। यह उनके द्वारा स्थापित प्रथम संस्थागत कार्य था। डॉ. जाट ने अपने शोध निर्देशक डॉ. रामकुमार गुर्जर व मेग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द सिंह के सहयोग से जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण पर कार्य किया। मरूधरा अकादमी, जयपुर के साथ भी सम्मिलित रूप से पर्यावरण के कार्यों में जुटे रहे डॉ. जाट, राजीव गाँधी पेयजल मिशन और ग्रामीण स्वच्छता व पेयजल पर भी काम कर चुके हैं।
संपादकीय भूमिका में डॉ. जाट
झुंझुनूं में भूगोल के व्याख्याता डॉ। जाट स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय-अन्तरर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में विषय-विशेषज्ञ के रूप में पांच दर्जन से अधिक पर्यावरणीय एवं जल प्रबंधन पर लेख प्रकाशित कर चुके हैं। डॉ. जाट अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिका 'जर्नल ऑफ वाटर एण्ड लेण्डयूज मैनेजमेंट' के सह संपादक भी हैं। वे राजस्थान भूगोल परिषद के उपाध्यक्ष भी हैं। डॉ. जाट दिल्ली से प्रकाशित 'भूगोल और आप' सहित दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में पर्यावरण और जल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर लेखन का खासा अनुभव भी रखते हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित
लगभग डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय-अन्तरर्राट्रीय भूगोल सम्मेलनों में भाग लेकर शोध पत्र पढ़ चुके डॉ. जाट को उनकी पुस्तक 'संसाधन एवं पर्यावरण' पर मौलिक लेखन के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार 'मेदिनी पुरस्कार 2004' से सम्मानित किया जा चुका है। 27 जनवरी, 2009 को 'आपदा प्रबंधन' नामक पुस्तक पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2008 के 'पृथ्वी विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार' से भी डॉ. जाट सम्मानित किए गए। डॉ. जाट को 2007 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा ही 'सागरीय संसाधनों की संभावना' विषय पर लिखे लेख पर देश का प्रथम पुरस्कार डॉ। जाट को मिला। भारतीय भूगोलवेत्ता संघ के 2005 में बेंगुलुरू में तथा वर्ष 2006 में मगध विश्वविद्यालय बोध, गया में यंग ज्योग्राफर अवार्ड के लिए शोध पत्र पढऩे के लिए चुना गया। जून 2008 से डॉ. जाट राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर द्वारा शोध निर्देशन की अनुमति भी प्राप्त कर चुके हैं फिलहाल रिसर्च स्कॉलर्स के साथ राजस्थान में जल एवं पर्यावरण संकट तथा इसके प्रबंधन पर शोधरत हैं। ये शोधार्थी बीकानेर, जैसलमेर, नागौर, सीकर एवं द. हरियाणा जल संकट से सम्बन्धित चुनौतियों पर शोधरत हैं। मई 2009 को यू.जी.सी. भोपाल से डॉ. जाट को जलग्रहण कार्यक्रमों की पोषणीयता पर शोध परियोजना की अनुमति मिली है।
डॉ. जाट को शुभकामनाएं प्रेषित करने के लिए :-
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डॉ.बी.सी. जाट एक प्रतिभा का नाम है। प्रतिभा को सलाम।
श्री धीरेन्द्रजी गोदारा को धन्यवाद कि उन्होंने हम सबसे उनको रू-ब-रू करवाया।
सादर
डा. बी सी जाट से मिलने का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है.... शानदार व्यक्तित्त्व।