हौंसलों के पंखों से उड्ता गांव का एक विकलांग जूझारू योद्धा - अर्जुन पुरस्कार प्राप्तकर्ता देवेन्द्र झाझडि़या
दुलाराम सहारण
राजस्थान के चूरू जिले की तहसील राजगढ़ के छोटे से गांव जयपुरिया खालसा के जूझारू देवेन्द्र झाझड़िया ने मात्र दस साल की अवस्था में बिजली की करंट से अपना एक हाथ गंवा दिया था। लम्बे समय तक बिस्तर पर रहते हुए देवेन्द्र ने किसान पिता श्री रामसिंह और मां श्रीमती जीवणी देवी के सपनों को कहीं से टटोला और अपने मन में एक दृढ़ संकल्प लिया। एक ऐसा संकल्प, जो न केवल विकलांग प्रतिभाओं को हौंसला देता है, बल्कि आम आदमी को जीवन का फलसफा समझाता है।
देवेन्द्र झाझड़िया ने गांव के जोहड़ को अपना मैदान और अपने आत्म-संकल्प को गुरु माना तथा लकड़ी का भाला बनाकर खेल-अभ्यास शुरू किया। यह देवेन्द्र के संकल्प और साधना का ही परिणाम है कि उसने एथेंस पैराओलंपिक में भाला फेंक स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। उनकी उपलब्धियों पर भारत सरकार ने उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार` प्रदान किया।
उपलब्धियां :-
1995 में स्कूली प्रतियोगिता से सार्वजनिक प्रदर्शन का सिलसिला शुरू
कॉलेज शिक्षा के दौरान बंगलौर में हुए राष्टघीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक
1999 में राष्टघीय स्तर पर जैवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक
2002 के बुसान एशियाड में स्वर्ण पदक
2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और टिघ्पल जंप तीनों स्पर्द्धाओं में स्वर्ण पदक
एथेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक (ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले पहले खिलाड़ी)
खास :-
खेलों के सिलसिले में 14 देशों का सफर
जीवन-संगिनी मंजू (विवाह मई, 2007) भी कबड्डी की राष्टघीय स्तर की खिलाड़ी
2009 में पद्मश्री अवार्ड दिए जाने का प्रस्ताव भारतीय पैराओलंपिक कमेटी ने भारत सरकार को भेजा
पुरस्कार-सम्मान :-
स्पेशल स्पोट्र्स अवार्ड- 2004
अर्जुन अवार्ड-2005
राजस्थान खेल रत्न
महाराणा प्रताप पुरस्कार- 2005
मेवाड़ फाउंडेशन का प्रतिष्ठित अरावली सम्मान- 2009
संपर्क :
देवेन्द्र झाझड़िया
गांव- जयपुरिया खालसा
तहसील- राजगढ़
जिला- चूरू (राजस्थान)
मोबाइल : 0 94146 65925
देवेन्द्र झाझड़िया ने गांव के जोहड़ को अपना मैदान और अपने आत्म-संकल्प को गुरु माना तथा लकड़ी का भाला बनाकर खेल-अभ्यास शुरू किया। यह देवेन्द्र के संकल्प और साधना का ही परिणाम है कि उसने एथेंस पैराओलंपिक में भाला फेंक स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। उनकी उपलब्धियों पर भारत सरकार ने उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार` प्रदान किया।
उपलब्धियां :-
1995 में स्कूली प्रतियोगिता से सार्वजनिक प्रदर्शन का सिलसिला शुरू
कॉलेज शिक्षा के दौरान बंगलौर में हुए राष्टघीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक
1999 में राष्टघीय स्तर पर जैवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक
2002 के बुसान एशियाड में स्वर्ण पदक
2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और टिघ्पल जंप तीनों स्पर्द्धाओं में स्वर्ण पदक
एथेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक (ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले पहले खिलाड़ी)
खास :-
खेलों के सिलसिले में 14 देशों का सफर
जीवन-संगिनी मंजू (विवाह मई, 2007) भी कबड्डी की राष्टघीय स्तर की खिलाड़ी
2009 में पद्मश्री अवार्ड दिए जाने का प्रस्ताव भारतीय पैराओलंपिक कमेटी ने भारत सरकार को भेजा
पुरस्कार-सम्मान :-
स्पेशल स्पोट्र्स अवार्ड- 2004
अर्जुन अवार्ड-2005
राजस्थान खेल रत्न
महाराणा प्रताप पुरस्कार- 2005
मेवाड़ फाउंडेशन का प्रतिष्ठित अरावली सम्मान- 2009
संपर्क :
देवेन्द्र झाझड़िया
गांव- जयपुरिया खालसा
तहसील- राजगढ़
जिला- चूरू (राजस्थान)
मोबाइल : 0 94146 65925
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ram ram ji...
devendra ji ke baare mein bahut padha tha papers mein par ye jo detail aaj mili hai kabhi na mili thi .
aapko bahut bahut badhaaiyan...
ki aap aise hi duniya mein jaat naam ko roshan karte rahein..
:)
bahut bahut badhaiyaa
badhai devendra ji ko or aapko bhi. achha aalekh likha, achhi jaankari di.
shukria