इंडिया टुडे का हाल ही 23वीं वर्षगांठ विशेषांक जारी किया गया है। इस बेहतरीन विशेषांक में महिला सशक्तिकरण पर प्रकाशित बेहतरीन आलेख 'तटबंध तोडऩे को हैं तत्पर' में विभिन्न क्षेत्रों की अग्रणी महिलाओं को शामिल किया गया है। श्री रोहित परिहार ने इस विशेष आलेख में राजस्थान की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती कुशल सिंह को भी शामिल किया है। श्री परिहार ने इस आलेख में जो कुशल सिंह जी के बारे में लिखा वह इंडिया टुडे से साभार हम यहां दे रहे हैं -
'उनके रूप में राजस्थान को इसी साल फरवरी में पहली महिला मुख्य सचिव मिली थी। इसके लिए राजस्थान को पूरे 60 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा था। पुरुषों के दबदबे वाली प्रशासनिक सेवा के जरिए इस मुकाम तक पहुंचना वाकई आसान नहीं था। दरअसल उनके बाद तीन वरिष्ठ महिला प्रशासनिक अधिकारियों को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया, क्योंकि उसे एक पुरुष मुख्य सचिव जो चाहिए था। इस लिहाज से वे वाकई स्त्री शक्ति का प्रतीक हैं। वे हरियाणा में रोहतक के पास के एक गांव की हैं और उनके अतिरिक्त पुलिस निरीक्षक रहे पिता, दादा के बाद गांव के दूसरे शिक्षित थे। कुशल सिंह ने डलहौजी में पढ़ाई की। वे 1974 बैच की आईएएस अधिकारी थीं और इसी वर्ष 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गईं। अपने प्रशासनिक तजुर्बे के आधार पर वे कहती हैं, 'विकास के लिए सोच में बदलाव लाना जरूरी है।' उन्हें ताज्जुब होता है कि लोग आज भी अंधविश्वासी क्यों बने हुए हैं। मुश्किल घड़ी में गांधी और नेहरू उनके लिए प्रेरणा बने रहे।'
यहां कुशल सिंह जी की वहीं तस्वीर भी इंडिया टुडे से साभार दी गई है, जो उन्होंने प्रकाशित की है। इस तस्वीर को खींचने वाले हैं श्री पुरुषोत्तम दिवाकर। जुझारू परिवार और पूरे जाट समाज की ओर से कुशल सिंह जी पर लिखने के लिए वरिष्ठ पत्रकार श्री रोहित परिहार बधाई के पात्र हैं।
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