नौसेना के इतिहास में पहली बार दो महिला अधिकारियों को हाल ही सशस्त्र सेना में महिलाओं को समान अवसर देते हुए आब्जर्वर कैडर में शॉर्ट सर्विस अधिकारियों की भर्ती का अवसर दिया गया है। यह नौसेना के गठन के 56 साल बीत जाने के बाद पहली बार नैवेल एविएशन द्वारा पोतों पर तैनाती के लिए महिला लड़ाकों को शामिल करने का ऐतिहासिक कदम है। ...और इस कदम की भागीदार रही दो महिला अधिकारियों में से एक सब लेफ्टिनेंट अंबिका हुड्डा हरियाणा के जाट परिवार से ताल्लुक रखती है।
अंबिका अब मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट (एमपीए) के बेड़े का हिस्सा होंगी। अंबिका हुड्डा नौसेना की पहली महिला आब्जर्वर के रूप में काम करेंगी। भारतीय नौसेना अकादमी में ओरिएंटेशन कोर्स के प्रशिक्षण के बाद आईएनएस गरूड़ स्थित ऑब्जर्वर स्कूल में अंबिका ने प्रशिक्षण लिया है। इस प्रशिक्षण के बाद अब अंबिका हथियार, सेंसर, रडार के परिचालन के साथ ही विमानों का पता लगाएंगी। अंबिका ने 16 महीने की प्रशिक्षण अवधि के दौरान अत्याधुनिक और परिष्कृत डोर्नियर विमान उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के साथ ही ग्राइंडिंग में भी हिस्सा लिया, जिसके अंतर्गत एयर नैविगेशन, जटिल समुद्री वातावरण को समझने और नौसेना की युद्धकला के दांव-पेंच की जानकारी दी जाती है। अब अंबिका हुड्डा नौसेना दस्ते के अभियानों की अगुआई करते हुए इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सेंसर अधिकारियों का दायित्व निभाएंगी या फिर सबमैरिन वारफेयर मिशन में योगदान करेंगी।
अंबिका के उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ जुझारू जाट परिवार की ओर से उन्हें ढेर सारी शुभकामनाएं।
जाट बेटियां अपने परिवारों का सिर फक्र से ऊंचा करने में जुटी हैं। रीति-नीति और परंपराओं, संस्कारों को साथ संभाले, विकास की दौड़ में जाट बेटियां हर किसी को पीछे छोड़ रही हैं। जीता जागता उदाहरण देखिए। हिसार के पास ही सीसर खरबला गांव में जन्मी कविता गोयत ने अपने प्रदेश और जाट समाज का नाम रौशन किया है। हाल ही हनोई में आयोजित 'एशियाई इंडोर गेम्स- 2009' में 64 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक हासिल किया है।
भूमिहीन किसान जाट परिवार में चार भाई-बहनों में से एक कविता ने पिछले ही साल स्नातक की डिग्री ली है। पिताजी सिक्योरिटी गार्ड हैं और छह साल पहले कविता को बॉक्सिंग खेलने की अनुमति दी। जैसे-तैसे परिवार पालन करने वाले कविता के पिता ने अपने बूते से बाहर जाकर कविता को कोचिंग दिलाई। लेकिन कविता आज भी परिवार को लेकर बेहद चिंतित है। वह कहती है, 'बॉक्सिंग मेरा जुनून है, लेकिन मेरे परिवार की गरीबी, मां-बाप की की तंग हालत मेरे इस खेल के लिए ही नहीं पूरे परिवार के लिए पहाड़ की तरह है। ...लेकिन मैं जुटी रहूंगी, देश का नाम रौशन करने के लिए।'
जुझारू जाट की ओर से कविता गोयत को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। वे ऐसे ही स्वर्ण पदक जीतती रहें और परिवार, जाट समाज, प्रदेश और देश का नाम रोशन करती रहें। ...और विशेष निवेदन हरियाणा जाट समाज के लिए कि आगे आएं और कविता के परिवार का सहयोग करें, ताकि कविता इस खेल में और आगे जा सके और एक प्रतिभा को सुविधाओं, परिस्थितियों से जूझने में अपना वक्त जाया ना करना पड़े, बल्कि देश का नाम, जाट समाज का नाम ऊंचा करने में अपना पूरा वक्त दे पाए। जुझारू जाट इस बेटी के लिए अपने स्तर पर जो प्रयास / प्रबंध कर सकता है, करेगा। आप भी आगे आएं...
जुझारू कविता गोयत को बधाई देने और सपोर्ट के लिए यहां संपर्क करें - 09416181362.
कविता गोयत के कोच श्री अनूप सिंह नेशनल वुमन बॉक्सिंग के चीफ कोच और द्रोणाचार्य अवॉर्ड विजेता हैं। श्री अनूप सिंह से इस नंबर पर संपर्क करें - 09896372287.
इंडिया टुडे का हाल ही 23वीं वर्षगांठ विशेषांक जारी किया गया है। इस बेहतरीन विशेषांक में महिला सशक्तिकरण पर प्रकाशित बेहतरीन आलेख 'तटबंध तोडऩे को हैं तत्पर' में विभिन्न क्षेत्रों की अग्रणी महिलाओं को शामिल किया गया है। श्री रोहित परिहार ने इस विशेष आलेख में राजस्थान की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती कुशल सिंह को भी शामिल किया है। श्री परिहार ने इस आलेख में जो कुशल सिंह जी के बारे में लिखा वह इंडिया टुडे से साभार हम यहां दे रहे हैं -
'उनके रूप में राजस्थान को इसी साल फरवरी में पहली महिला मुख्य सचिव मिली थी। इसके लिए राजस्थान को पूरे 60 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा था। पुरुषों के दबदबे वाली प्रशासनिक सेवा के जरिए इस मुकाम तक पहुंचना वाकई आसान नहीं था। दरअसल उनके बाद तीन वरिष्ठ महिला प्रशासनिक अधिकारियों को सरकार ने नजरअंदाज कर दिया, क्योंकि उसे एक पुरुष मुख्य सचिव जो चाहिए था। इस लिहाज से वे वाकई स्त्री शक्ति का प्रतीक हैं। वे हरियाणा में रोहतक के पास के एक गांव की हैं और उनके अतिरिक्त पुलिस निरीक्षक रहे पिता, दादा के बाद गांव के दूसरे शिक्षित थे। कुशल सिंह ने डलहौजी में पढ़ाई की। वे 1974 बैच की आईएएस अधिकारी थीं और इसी वर्ष 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो गईं। अपने प्रशासनिक तजुर्बे के आधार पर वे कहती हैं, 'विकास के लिए सोच में बदलाव लाना जरूरी है।' उन्हें ताज्जुब होता है कि लोग आज भी अंधविश्वासी क्यों बने हुए हैं। मुश्किल घड़ी में गांधी और नेहरू उनके लिए प्रेरणा बने रहे।'
यहां कुशल सिंह जी की वहीं तस्वीर भी इंडिया टुडे से साभार दी गई है, जो उन्होंने प्रकाशित की है। इस तस्वीर को खींचने वाले हैं श्री पुरुषोत्तम दिवाकर। जुझारू परिवार और पूरे जाट समाज की ओर से कुशल सिंह जी पर लिखने के लिए वरिष्ठ पत्रकार श्री रोहित परिहार बधाई के पात्र हैं।
राम राम साय ॥
5 जनवरी 1981 को सीकर जिले के गाँव मगनपुरा ( दांतारामगढ़ ) में इनका जन्म हुआ ।
इनके पिताजी श्री दुल्हाराम जी हैं जो पेशे से अध्यापक हैं ।
बजरंग पांच भाइयों में दूसरे नंबर के है। बजरंग जी 2001 में सेना में भर्ती हुए ।
एवं वर्तमान में दिल्ली में तैनात है। इनका सबसे छोटा भाई जगदीश प्रसाद भारतीय वायु सेना में कम्पाउंडर है।
सुनहरी उपलब्घियां :
2001 में भारतीय सेना में सिपाही के पद पर नियुक्ति के बाद फरवरी 2001 में हैदराबाद में नौकायान क्षेत्र में पदस्थापना हुई। वर्ष 2002 से 2004 तक पूना में नौकायान का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वर्ष 2003 में प्रशिक्षण काल में ही सबसे पहले नेशनल चैम्पियनशिप में रजद पदक जीता। वर्ष 2004 में सेना की ओर से खेलते हुए चंडीगढ में आयोजित नेशनल चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया। 2005 में हैदराबाद में आयोजित 11वीं एशियन चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण और दो कांस्य पदक जीते। 2006 में श्रीलंका में हुए सैफ गेम में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए दो स्वर्णपदक जीते। वर्ष 2006 में दोहा कतर में 15वें एशियन गेम्स में 1 रजत पदक जीता।
वर्ष 2007 में कोरिया में 12वीं एशियन चैम्पियनशिप में एक स्वर्ण पदक जीता। 12 वें एशियन रोर्ईग चैम्पियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक हासिल किया। वर्ष 2008 में ओलम्पिक गेम्स में रजत पदक जीता, इसी उपलब्धि पर वर्ष 2008 में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने अर्जुन पुरस्कार प्रदान किया। वर्ष 2009 में 4 से 8 नवम्बर तक ताईवान में आयोजित 13 वीं एशियन नौकायान चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में हांगकांग को हराकर स्वर्ण पदक जीता।
सूबेदार बजरंगलाल ताखर कहते हैं '....मुझे गर्व है कि मैने शेखावाटी में जन्म लिया है। मेरी अब 2010 में बीजिंग में होने वाले एशियाड में स्वर्ण पदक जीतकर देश व जन्मभूमि का नाम रोशन करने की तमन्ना है'।
ताखर अपनी इस उपलब्धि का श्रेय अपने माता-पिता और गुरू ब्रिगेडियर के.पी.सिंह देव को देते हैं। ताखर ने कहा कि मैं बास्केटबॉल का खिलाडी था। सेना में भर्ती होने के बाद सेना की ओर से बास्केटबॉल के अनेक मैच खेले और जीते। लेकिन वर्ष 2001 में हैदराबाद में तैनाती के साथ ही मेरा खेल जीवन बदल गया। यहां मेरी काबिलियत को मेरे खेल जीवन के गुरू ब्रिगेडियर के।पी.सिंह देव ने नौकायन का प्रशिक्षण दिलवाया। परिणाम यह रहा कि मैं एक के बाद एक जीत हसिल करता गया।
पत्नी ने दी प्रेरणा -
बजरंगलाल की सफलता के पीछे पत्नी का भी हाथ है। बकौल बजरंगलाल वर्ष 2008 में ओलम्पिक खेलों में भाग लेने के लिए चीन जा रहा था तब उसकी पत्नी उर्मिला ने तीन शब्द कहे 'कामयाब होकर लौटना'। और यही तीन शब्द जीत के लिए जुनून बन गए। हर समय उनके कानों में यही तीन शब्द गूंजते रहे। बजरंगलाल ने रहस्योद्घाटित करते हुए बताया कि आज सारा भारत मुझे ओलम्पिक में स्वर्ण पदक जीतने की वजह से जानता है, लेकिन चीन के लिए रवाना होते समय तक मेरी पत्नी उर्मिला ओलम्पिक खेलों और उसके महत्व के बारे में जानती तक नहीं थी। इसलिए उसने मुझसे कहा कि जिस खेल के लिए जा रहे हो उसमें जीतकर लौटना।
जय जाट !
छोटे-बड़े पर्दे पर युवा जाट के जलवे देखने हों, तो चर्चित रियलिटी शो बिग बॉस के प्रवेश राणा पर नजर दौड़ाएं। मिस्टर इंडिया - 2008 का खिताब जीतने वाले मेरठ के युवा जाट अभिनेता और मॉडल प्रवेश राणा बिग बॉस के घर में अपने सरल, सहज और विनम्र स्वभाव से सब घरवालों का दिल जीतने में कामयाब हो गए हैं। गौरतलब है कि इस चर्चित युवा स्टार को बिग बॉस में वाइड कार्ड के जरिए एंट्री दी गई है।
प्रवेश जानी-मानी आईबीएम कंपनी में गुणवत्ता सलाहकार के पद पर काम का अनुभव रखते हैं। दिल्ली के रामजस कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक डिग्री ले चुके प्रवेश दुनियाभर में अब तक 600 इवेंट्स और शो में भाग ले चुके हैं और अब मुंबई में छाए हुए हैं। प्रवेश ने मुंबई और ग्लैमर की दुनिया में भाग्य आजमाने के लिए 2007 में रुख किया और एक के बाद एक सफलता हासिल करते हुए मि. इंडिया बने। देश-विदेश की शीर्ष कंपनियों के लिए विज्ञापन, स्टार और जूम जैसे टीवी चैनलों के लिए एंकरिंग कर चुके प्रवेश हिंदी फिल्मों में भी भाग्य आजमा रहे हैं।
जुझारू जाट का सभी पाठकों से निवेदन है कि इस प्रतिभाशाली युवा जाट को बिग बॉस का खिताब जीतने के लिए शो में बनाए रखें। जब-जब मौका आए इनके पक्ष में वोटिंग करें।
मेरठ का यहयुवा जुझारू जाट बिग बॉस का खिताब जीते। प्रवेश को जुझारू जाट की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं।
प्रवेश फिलहाल बिग बॉस के घर में हैं, लेकिन उनके मोबाइल और ई-मेल पर आप किसी भी वक्त मैसेज छोड़ सकते हैं। इसके लिए कृपया इन मोबाइल नंबरों पर संपर्क करें - 09870791199, 09811603013.
या ई-मेल करें- (ceo@brandsmithindia.com, ramitts@yahoo.com)
प्रवेश राणा की वेबसाइट पर भी जरूर पधारें - (www.praveshrana.com)
कुशल जी पर इसलिए भी गर्व होता है कि उन्होंने ईमानदारी, निष्पक्षता और न्यायप्रियता के साथ काम किया। 35 साल का प्रशासनिक कार्यकाल बेदाग रहा। समाज को ऐसे ही लोगों की जरूरत है, जो अपने अच्छे कार्यों से अपना, अपने परिवार, अपने राज्य और देश का नाम रौशन करें। जाट समाज तो यह कहकर ही धन्य हो जाएगा कि जिओ बेटी!
युवा तुर्क चन्द्रशेखर चार या छह महीने ही भारत के प्रधानमंत्री रहे थे। कांग्रेस ने जब उनकी जाजम खींच ली, तो चंद्रशेखर को इस्तिफा देना पड़ा। उस समय प्रेस वालों से उन्होंने कहा था कि एवरेस्ट किसी का घर नहीं हो सकता। आप वहां झंडा गाड़ो, फोटो खिंचवाओ और नीचे चले आओ। उन्होंने कहा था कि ऊंचाई पर चकाचौंध और फिसलन बहुत ज्यादा होती है। ऑक्सीजन विरल होती है जिसके चलते सांस भी मुश्किल से ही ली जाती है।
चंद्रशेखर चिंतक व्यक्ति थे, इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री आवास को अपना घर नहीं माना, लेकिन हम अपने आसपास कितने ही लोगों को देखते हैं, जो सरकारी निवासों को अपना स्थाई आवास मानने लगते हैं। इनमें कर्मचारी, अधिकरी और विधायक कोई भी पीछे नहीं है। ऐसे लोगों के बीच में राजस्थान की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती कुशल सिंह ने अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। सेवानिवृत्ति के दिन ही उन्होंने न सिर्फ सरकारी बंगला खाली कर दिया, बल्कि चाबियां भी नए मुख्य सचिव को सौंप दी। इसके बाद वे नोएडा के लिए रवाना हो गई।
सेवानिवृत्ति के बाद कौन कहां रहे? यह फैसला तो उस व्यक्ति को ही करना होता है। तुलसीदास जी ने कहा था, 'बुरे लोग मिलने पर दुख देते हैं, जबकि अच्छे और सज्जन लो बिछुडऩे पर दुख दे जाते हैं।' अच्छा होता कि कुशलसिंह जी राजस्थान को ही घर बनातीं। एन.जी.ओ. गठित करतीं और अपने लोगों के बीच कार्य करतीं। समाज से और समाज सेवा से कैसी निवृत्ति। जिन लोगों के बीच आपने 35 साल काम किया वह काम अभी तो समाप्त नहीं हुआ है। राजस्थान पिछड़ा है, बीमारू है। आखिर कौन उसे आगे लाएगा। गुजरात आज प्रगति की दौड़ में देश में सबसे आगे है, तो उसका सबसे बड़ा कारण यही है कि सरकारी स्तर पर जितना कार्य हुआ है, उतना ही शायद सहकारी और गैर सरकारी (स्वयं सेवी संगठनों) ने भी किया है। पूर्व प्रशासक इन चीजों को ज्यादा बेहतर तरीके से क्रियान्वित कर सकते हैं। इसीलिए हम तो यही कहेंगे कि 'कुशल जी लौट आइए!'
संदेश कारगर रहा
कुशलसिंह जी जब राजस्थान की मुख्य सचिव बनी थीं, तब प्रमुख अखबार ने एक खबर छापी थी कि अशोक गहलोत सरकार ने कुशलसिंह मुख्य सचिव बनाकर जाट समाज को एक संदेश दिया है। कुशलसिंह ने अपने नाम के आगे कभी सरनेम नहीं लगाया अैर न ही कभी अपने को चौधरी कहलवना पसंद किया। वे कभी जाट ऑफिसर्स के समागम में नहीं गई। उन्होंने अपने जाट होने का जयघोष भी कभी नहीं किया, फिर भी सरकार संदेश देने में सफल रही। उन्हें मुख्य सचिव बनाने का संदेश जाट समाज में अच्छा ही गया। यह प्रजातंत्र ही है, जिसमें आहत समाज की भावनाओं पर मरहम रखने की कोशिश होती है। सिख आतंकवाद, ऑपरेरशन ब्लूस्टार और श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर कांग्रेस ने सिखों के साथ समूची दुनिया को तगड़ा मैसेज दिया। बिलकुल इसी तहर जाट मुख्यमंत्री के मुद्दे पर अशोक गहलोत की जिस तरह की टस्सल श्री शीशराम ओला के साथ हुई थी। उस कड़ुवाहट को कम करने में कुशल सिंह को मुख्य सचिव बनाने के संदेश ने कारगर भूमिका अदा की है।
...अब कुशल सिंह जी से यही निवेदन कर सकते हैं, वो बस लौट आएं। अपने प्रदेश। इसे बनाने, संवारने।
डॉ. ओला की यह उपलब्धि न केवल समाज, बल्कि संपूर्ण राजस्थानी जगत के लिए सम्मान्य है।
जीवन परिचय :-
जन्म : 6 अगस्त, 1963
जन्म स्थान : गांव- भिराणी, तहसील- भादरा, जिला- हनुमानगढ़, राजस्थान
शिक्षा : एम.ए. (राजस्थानी, हिन्दी), बी.एड., पीएच.डी.
प्रकाशित पुस्तकें :
जीव री जात (राजस्थानी कहानी संग्रह)
सेक्टर नं. 5 (राजस्थानी कहानी संग्रह)
सरहद के आर-पार (हिन्दी कविता संग्रह)
घुळगांठ (राजस्थानी उपन्यास)
राजस्थानी भाषा : मान्यता का मुद्दा (वैचारिक निबंध)
खरड्पंचा रो न्याव
बिघन री जड़
सरोज की समझदारी
खूबसूरत रिश्ता
उत्तर की तलाश (सभी बाल साहित्य एवं नवसाक्षर साहित्य)
पुरस्कार :-
साहित्य अकादेमी पुरस्कार-2002
मुरलीधर व्यास राजस्थानी कथा साहित्य पुरस्कार-2000
रावत सारस्वत साहित्य पुरस्कार-2006
चौ. रणधीरसिंह प्रतिभा पुरस्कार-1994
खास :-
'जीव री जात' राजस्थानी कहानी संग्रह का पंजाबी में 'जीव दी जात' नाम से अनुवाद
रानी लक्ष्मीकुमारी चूंडावत के कथा-साहित्य पर शोधकार्य
राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के संस्थापक अध्यक्ष
राजस्थानी लोक संस्थान (लोक संस्कृति केंद्र), नोहर के संस्थापक अध्यक्ष
साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मण्डल के सदस्य (2008-2012)
सम्प्रति :-
राजस्थान के शिक्षा विभाग में अध्यापन
सम्पर्क :-
डॉ. भरत ओला
37, सेक्टर नं. - 5,
नोहर (हनुमानगढ़) राजस्थान
मोबाइल :- 9414503130
पर्यावरण प्रेम और पर्यावरण जागरुकता का जीता जागता उदाहरण देखना हो, तो डॉ. बी.सी. जाट पर यह खोज खत्म हो जाती है। पर्यावरण संरक्षण से ताल्लुक रखने वाली समस्याओं और संभावनाओं के प्रति बेहद संवेदनशील डॉ. जाट की मात्र 37 वर्ष की उम्र में भूगोल पर अब तक 25 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। डॉ. जाट राष्ट्रीय स्तर पर 'मेदिनी पुरस्कार' और 'पृथ्वी विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार' से भी सम्मानित हो चुके हैं।
मैरिट में बनाया स्थान
प्रसिद्ध पर्यावरणविद और भूगोलवेत्ता डॉ. बी. सी. जाट अपने अध्ययन-अध्यापन के जरिए राष्ट्रीय-अन्तरर्राष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान रखते हैं। डॉ. जाट का जन्म जयपुर की चर्चित आमेर तहसील के गांव रामपुरा डाबड़ी के किसान परिवार में 15 फरवरी 1972 को हुआ। रामपुरा डाबड़ी से ही प्रारम्भिक शिक्षा लेने वाले जाट ने उच्च माध्यमिक शिक्षा चौमूं से बोर्ड मैरिट में स्थान बनाया। राजस्थान विश्वविद्यालय से 1999 में एम.फिल और पीएचडी की डिग्री लेने वाले डॉ. जाट ने भारतीय सूदूरसंवेदन संस्थान, देहरादून से जल प्रबंधन एवं रिमोट सेंसिंग पर अध्ययन पूरा किया।
पर्यावरण को समर्पित जाट
शुरू से ही नैसर्गिक प्रतिभा के धनी डॉ। जाट पर्यावरण के प्रति जागरूक रहे और रामपुरा डाबड़ी में न्यू चिल्ड्रन एकेडमी संस्था स्थापित करके अपनी शुरूआत की। जिसके जरिए जल एवं पर्यावरण प्रबंधन पर कार्य किया। घटते भूजल पर नियंत्रण के लिए बागवानी विकास पर कैंप लगवाए और इलाके में बड़ी संख्या में पौधरोपण करवाया, जो आज भी मिसाल है। यह उनके द्वारा स्थापित प्रथम संस्थागत कार्य था। डॉ. जाट ने अपने शोध निर्देशक डॉ. रामकुमार गुर्जर व मेग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेन्द सिंह के सहयोग से जयपुर ग्रामीण क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण पर कार्य किया। मरूधरा अकादमी, जयपुर के साथ भी सम्मिलित रूप से पर्यावरण के कार्यों में जुटे रहे डॉ. जाट, राजीव गाँधी पेयजल मिशन और ग्रामीण स्वच्छता व पेयजल पर भी काम कर चुके हैं।
संपादकीय भूमिका में डॉ. जाट
झुंझुनूं में भूगोल के व्याख्याता डॉ। जाट स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय-अन्तरर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में विषय-विशेषज्ञ के रूप में पांच दर्जन से अधिक पर्यावरणीय एवं जल प्रबंधन पर लेख प्रकाशित कर चुके हैं। डॉ. जाट अंतरराष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिका 'जर्नल ऑफ वाटर एण्ड लेण्डयूज मैनेजमेंट' के सह संपादक भी हैं। वे राजस्थान भूगोल परिषद के उपाध्यक्ष भी हैं। डॉ. जाट दिल्ली से प्रकाशित 'भूगोल और आप' सहित दैनिक भास्कर और राजस्थान पत्रिका में पर्यावरण और जल संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर लेखन का खासा अनुभव भी रखते हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित
लगभग डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय-अन्तरर्राट्रीय भूगोल सम्मेलनों में भाग लेकर शोध पत्र पढ़ चुके डॉ. जाट को उनकी पुस्तक 'संसाधन एवं पर्यावरण' पर मौलिक लेखन के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार 'मेदिनी पुरस्कार 2004' से सम्मानित किया जा चुका है। 27 जनवरी, 2009 को 'आपदा प्रबंधन' नामक पुस्तक पर पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 2008 के 'पृथ्वी विज्ञान मौलिक लेखन पुरस्कार' से भी डॉ. जाट सम्मानित किए गए। डॉ. जाट को 2007 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा ही 'सागरीय संसाधनों की संभावना' विषय पर लिखे लेख पर देश का प्रथम पुरस्कार डॉ। जाट को मिला। भारतीय भूगोलवेत्ता संघ के 2005 में बेंगुलुरू में तथा वर्ष 2006 में मगध विश्वविद्यालय बोध, गया में यंग ज्योग्राफर अवार्ड के लिए शोध पत्र पढऩे के लिए चुना गया। जून 2008 से डॉ. जाट राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर द्वारा शोध निर्देशन की अनुमति भी प्राप्त कर चुके हैं फिलहाल रिसर्च स्कॉलर्स के साथ राजस्थान में जल एवं पर्यावरण संकट तथा इसके प्रबंधन पर शोधरत हैं। ये शोधार्थी बीकानेर, जैसलमेर, नागौर, सीकर एवं द. हरियाणा जल संकट से सम्बन्धित चुनौतियों पर शोधरत हैं। मई 2009 को यू.जी.सी. भोपाल से डॉ. जाट को जलग्रहण कार्यक्रमों की पोषणीयता पर शोध परियोजना की अनुमति मिली है।
डॉ. जाट को शुभकामनाएं प्रेषित करने के लिए :-
फोन और एसएमएस करें - 09414466923
देवेन्द्र झाझड़िया ने गांव के जोहड़ को अपना मैदान और अपने आत्म-संकल्प को गुरु माना तथा लकड़ी का भाला बनाकर खेल-अभ्यास शुरू किया। यह देवेन्द्र के संकल्प और साधना का ही परिणाम है कि उसने एथेंस पैराओलंपिक में भाला फेंक स्पर्द्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा। उनकी उपलब्धियों पर भारत सरकार ने उन्हें 'अर्जुन पुरस्कार` प्रदान किया।
उपलब्धियां :-
1995 में स्कूली प्रतियोगिता से सार्वजनिक प्रदर्शन का सिलसिला शुरू
कॉलेज शिक्षा के दौरान बंगलौर में हुए राष्टघीय खेलों में जैवलिन थ्रो और शॉट पुट में पदक
1999 में राष्टघीय स्तर पर जैवलिन थ्रो में सामान्य वर्ग के साथ कड़े मुकाबले के बावजूद स्वर्ण पदक
2002 के बुसान एशियाड में स्वर्ण पदक
2003 के ब्रिटिश ओपन खेलों में देवेंद्र ने जैवलिन थ्रो, शॉट पुट और टिघ्पल जंप तीनों स्पर्द्धाओं में स्वर्ण पदक
एथेंस पैरा ओलंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक (ओलंपिक में व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले पहले खिलाड़ी)
खास :-
खेलों के सिलसिले में 14 देशों का सफर
जीवन-संगिनी मंजू (विवाह मई, 2007) भी कबड्डी की राष्टघीय स्तर की खिलाड़ी
2009 में पद्मश्री अवार्ड दिए जाने का प्रस्ताव भारतीय पैराओलंपिक कमेटी ने भारत सरकार को भेजा
पुरस्कार-सम्मान :-
स्पेशल स्पोट्र्स अवार्ड- 2004
अर्जुन अवार्ड-2005
राजस्थान खेल रत्न
महाराणा प्रताप पुरस्कार- 2005
मेवाड़ फाउंडेशन का प्रतिष्ठित अरावली सम्मान- 2009
संपर्क :
देवेन्द्र झाझड़िया
गांव- जयपुरिया खालसा
तहसील- राजगढ़
जिला- चूरू (राजस्थान)
मोबाइल : 0 94146 65925
वीणा सहारण
द्वारा कर्नल हरिसिंह सहारण
158, महादेव नगर,
गांधी पथ,
जयपुर-302021
ई मेल - saharanveena@yahoo.co.in
स्क्वाडन लीडर वीणा सहारण, पिता कर्नल हरिसिंह सहारण और बहन रीना सहारण के साथ
सहायक जनसंपर्क अधिकारी कुमार अजय द्वारा वीणा सहारण से लिया गया साक्षात्कार,
प्रकाशित- राजस्थान पत्रिका, 4 नवम्बर, 2009
डॉ. घासीराम वर्मा का जन्म भले ही छोटे से गांव सीगड़ी (नवलगढ़, झुंझुनूं) में हुआ, लेकिन उनका सफर विश्वव्यापी रहा। दुनियाभर में अपने अध्ययन-अध्यापन से नाम कमाने वाले डॉ. घासीराम अपनी जड़ों से हमेशा जुडें रहे। जब तब विदेश में रहे अपने देश आते और गांव की गरीब, असहाय प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने का प्रयास करते।
जीवन में जितना कमाया उसका एक बड़ा हिस्सा (चार करोड़ रुपए ) ऐसी ही प्रतिभाओं का जीवन संवारने में लगा दिया। इस बेमिसाल व्यक्तित्व के बारे में जितना कहा जाए कम है।
जुझारू जाट को डॉ. घासीराम वर्मा के ब्लॉग होने की जानकारी मिली। आप उनका पूरा जीवन उनके इस सुंदर ब्लॉग पर अपनी भाषा में जान सकते हैं।
जुझारू जाट की ओर से दुनियाभर में मिसाल के रूप में स्थापित जुझारू डॉ. घासीराम वर्मा को ढेर सारी शुभकामनाएं और आभार।
डॉ. घासीराम जी को शुभकामनाएं प्रेषित करने के लिए :-
फोन और एसएमएस करें - 01592-234758. मोबाइल : 9001546632
डॉ. घासीराम जी के ब्लॉग पर भी जरूर पधारें -
www.ghasiramverma.blogspot.com
सभी जाट भाइयों को राम राम ...
अभी तक की जो पोस्ट थी वो उन जाटो समर्पित थी जो किसी विशेष क्षेत्र में जाट समाज को नाम रोशन कर रहे हैं। ये क्रम जारी रहेगा पर मैंने सोचा की बीच में कुछ अन्य बाते भी हो जायें ताकि नवीनता बनी रहे।
सबसे पहले तो मैं आपको यह बता दूँ की न तो मैं हिन्दी का ज्यादा जानकर हूँ और न ही कोई लेखक हूँ पर इस फॉरम में लिखने से अपने आपको रोक नही पाया!
वैसे जुझारू हिन्दी भाषा का शब्द है जो जाट को सही तरीके से परिभाषित नही करता है पर ये जाट को 1 शब्द में समझाने क लिए निकटतम जरूर है। जहाँ तक मुझे पता है इसका सामान्य अर्थ ये है "जो हमेशा जूझता रहे"... और ये तो सामान्य सी बात है की कोई भी आदमी जूझता तभी है जब उसके सामने परेशानियाँ हों। इन परेशानियों में रहते रहते जाट का शरीर एवं दिमाग एक अलग ही रंग में ढल चुका है जो निश्चित ही विकाश की तरफ़ है।
जहाँ तक मैं अतीत (जो ज्यादा पुराना नही है) को याद करता हूँ तो मुझे सबसे पहले ये याद आता है की जब मैं छोटा था तो मुझे ये अपने अनुभवों से पता चल गया था की जाट मजबूत तो होता है क्यूंकि गाँव की स्कूल में कभी भी जाटों की बेटे पिटके नही आते थे। और हमेशा से अपने माँ को रोज सुबह5 बजे उठते , पूरे दिन खेत में कड़ी मेहनत का काम करते देखता हूँ।
दादा जी को ये चिंता नही रहती थी की वे बीमार बल्कि ये चिंता ज्यादा थी की पड़ोसी ने तो काफ़ी ज्यादा लावणी कर ली है ।
घर के हर सदस्य का कमोबेश येही हाल था ... था क्या अब भी है ..
पर हर आदमी ने अपने आप को पीड़ित नही समझा , तब भी जब उनका हजारों रूपये का अनाज सैंकडों में बिका ।
चाहे वो सुबह मंडी में में प्याज 1 रुप्य्र प्रति किलो बेच के आया हो पर उसे तो उसी मंडी के बाहर लगे ठेले पर वही प्याज वापस 10 रूपये प्रति किलो में मिलता रहा है ।
किसी ने सच ही कहा है की " जाट की 100 बीघा , अहीर की 9 बीघा , माली की 2 बीघा और बनिए की 1 दुकान बराबर होती है"
पर मुझे लगता है की जाट की 200 बीघा भी उतना नही दे पाती... भला हो उन जाटो का जिन्होंने सन १९५५-६० के आस पास "जमीन बावे बिकी " का नारा देकर और डांग के जोर पर सामंतों से अपनी जमीन को बचाए रखा । मेरे गाँव में कोई 10-12 साल पहले 1 बनिया आया था पता नही कहाँ से ,( वैसे जाट कम ही अपनी जगह बदलता है)। पर बनिया हमेशा से होशियार रहा है चाहे आप चारों और नजर डाल लीजिये जो भी मारवाडी समुदाय जाना जाता है और हम उसपे गर्व करते हैं , उसमें कितने जाट हैं ॥
तो गाँव के 1 जने उसे रहने के लिए अपनी गाँव की पुराणी हवेली को उसे मुफ्त में रहने के लिए दे दियां... और अगर आज के हालत देखें तो उस बनिए ने उस हवेली को तो खरीद ही लिया है बल्कि पास में 10-12 बीघा जमीन, गाँव में 2 दूकान आदि भी हैं और गाँव में किसी जाट को अगर पैसे की जरुरत होती है तो वो बोलता है की भाया मुझसे ले जाना पर 3 रुपया सैंकडा लगेगा और गारंटी अलग। कहाँ से आया ये पैसा ??? बस उसने गाँव के सीधे साधे लोगों की भावनाओ से लके पैसा बनाया है... और इतनी शार्पनेस से की किसीको हवा भी नही लगी। पर वो जाट अभी भी उन्ही हालातों से जूझ रहे हैं! वर्तमान पीढी की बात करें तो किसी भी युवा जाट के दादा-दादी और माँ साक्षर नही हैं (कुछेक को छोड़कर) पर हाँ उन बुजुर्गो को ये आभाष जरुर था या उनकी दूरदृष्टी थी की पढ़ाई ही इन हालातो से निकलने का एकमात्र उपाय है ... सो उसी कारण से इस पीढी के ज्यादातर पिता पढ़े लिखे और नौकरीपेशा लोग हैं। अब हालात बदले हैं जो काफी सुखद है ...
इन समाज के ठेकेदारों को ये पहले से पता था की इस जाट को किसी ऐसे काम में लगाओ की ये अपने दिमाग का उपयोग न कर सके सो इन्होने जाट कौम को कृषक वर्ग बना दिया , ताकि ये अपने डील के जोर को मेहनत के कामों में बरबाद कर ले वरना उन्हें भय था की जाट को किसी भी तरीके से रोकना सम्भव नही है। सो जाट पता नही कितने सालों से इस जमीन में पैर गडाये बैठा है..। और वो ब्रह्मण बनिया ठंडी हवा में नोट गिन रहा है। और वहां ठण्ड में बैठा घणी मीठी मीठी बातें करता है और ऊपर से यह कहता है की जाट तो आडू है। इसे बोलने का होश नही है ये तो गाली देता है और ऊँची आवाज़ में बात करता है। वो अगर 1 घंटे 50 डिग्री तापमान पर खेत में काम करले तब पता चले की जाट को ताव क्यूँ आता है। इसी ताव की कारन जाट बिजनेस में कभी आगे नही आ पाया क्यूंकि उसे कभी यह कहना नही आया की "अजी थारी ही दूकान है"....
इस शब्द से पता नही वो लोग कितने आगे बढ़ चुके हैं... और इन लोगो ने अपने आप को भगवान का दर्जा भी दिलवा या है...। ये तो मुझे आज तक समझ नही आया की ब्रह्मण को ब्रह्मण दादा या ब्रह्मण देवता क्यूँ कहा जाता है। शायद कारण ये है की वर्ग विभाजन करने वाले लोग ये ही थे जबकि जाट तो उस वक्त खेत में जूझ रहा था । जाट हर कदम पर जूझा है ,रीजा है, ठगा गया है ।
अभी बहुत बदलाव की जरुरत है ... अब ये बदलाव कैसा होगा .... देखते हैं भविष्य क्या करवट लेता है ।
(जैसा की मैं बता चुका हूँ की मैं कोई लेखक नही हूँ सो कोई ग़लत शब्द या भूल हो तो क्षमा करें)
एक जोशीला जुझारू जाट -
जितेन्द्र बगङिया
dr.jitubagria@gmail.com
09799720730
वर्ष 2008-09 के लिए पीएसपीबी वार्षिक पुरस्कार समारोह में 22 अक्टूबर को सायना नेहवाल सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के तौर पर चुनी गई। नई दिल्ली में आयोजित इस कार्यक्रम में सायना के साथ-साथ चर्चित जाट क्रिकेटर वीरेन्द्र सेहवाग भी उपस्थित थे। वीरेन्द्र सेहवाग को 2007-08 के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
जुझारू जाट की ओर से सायना नेहवाल और वीरेन्द्र सेहवाग को ढेर सारी शुभकामनाएं।
चेन्नई के नेहरू स्टेडियम में चल रही 49वीं राष्ट्रीय इंटर स्टेट और सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की चक्का फेंक स्पर्धा में कृष्णा पूनिया ने रजत पदक हासिल कर लिया है।
पूनिया ने 56.53 मीटर की दूरी तक चक्का फेंक कर राजस्थान के लिए पहला पदक जीता। पूनिया एशियाई खेलों की व्यक्तिगत स्पर्धा में राजस्थान के लिए पहला और एकमात्र पदक जीत चुकी हैं।
जुझारू जाट की ओर से कृष्णा पूनिया को ढेर सारी शुभकामनाएं।
कहते हैं 'मेहनत के बिना किस्मत और किस्मत के बिना मेहनत कभी नहीं फलती।' इसे एक क्रिकेटर की किस्मत कहेंगे कि भारतीय मूल से ताल्लुक रखने वाला पूनिया परिवार स्कॉटलैंड जाकर बस गया और इसे मेहनत कहेंगे कि इस परिवार में जन्मा नवदीप क्रिकेट को दीवानेपन की हद तक चाहत के साथ खेलने लगा। 5 अगस्त, 2006 का दिन नवदीप सिंह पूनिया के लिए यादगार बन गया। इस दिन स्कॉटलैंड क्रिकेट टीम के राइट हैंडेड बैट्समैन पूनिया ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच आयरलैंड के खिलाफ खेला। इस मैच में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद नवदीप पूनिया का चयन 2007 के क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए चयनित अंतरराष्ट्रीय स्कॉटलैंड क्रिकेट टीम के लिए किया गया।
राइट आर्म मीडियम फास्ट बॉलर पूनिया स्कॉटलैंड टीम के अलावा वॉर्विकशायर, वॉर्विकशायर - द्वितीय 11 और वॉर्विकशायर क्रिकेट बोर्ड के लिए भी क्रिकेट खेल चुके हैं। 2006 सत्र में वॉर्विकशायर की ओर से बेहतरीन स्कोर के साथ तीन 20-20 मैच खेलने वाले नवदीप सिंह पूनिया वॉर्विकशायर की ओर से इंग्लिश कंट्री क्रिकेट खेलने का अनुभव रखते हैं। नवदीप वर्ल्ड क्रिकेट लीग टीम के सदस्य भी रहे हैं जो 20-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में केन्या के सामने रनरअप रही।
11 मई, 1986 को गोवन, गैस्लो, लैनार्कशायर (स्कॉटलैंड) जन्मे और पले बढ़े नवदीप सिंह पूनिया की शिक्षा स्कॉटलैंड के मोसिले पार्क स्कूल और वॉल्वरहैम्प्टन यूनिवर्सिर्टी, स्कॉटलैंड से हुई है। नवदीप सिंह पूनिया अब तक आयरलैंड, केन्या, बरमूड़ा, इंग्लैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीमों के सामने स्कॉटलैंड की ओर से वन डे और टी-20 खेल चुके हैं। पूनिया आने वाले समय में इंग्लैंड अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी के तौर पर खेलने का सपना रखते हैं। ...और इसी लिहाज से अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं।
जुझारू जाट की ओर से नवदीप सिंह पूनिया और उनके पूरे परिवार को ढेर सारी शुभकामनाएं।
जरा यहां गौर फरमाएं :-
राजस्थान मंत्रीमण्डल की प्रथम महिला मंत्री : कमला बेनीवाल
राजस्थान की प्रथम महिला उप मुख्यमंत्री : कमला बेनीवाल
राजस्थान की प्रथम महिला मुख्यमंत्री : वसुंधरा राजे
राजस्थान की प्रथम महिला विधानसभाअध्यक्ष : सुमित्रा सिंह
राजस्थान विधानसभा चुनाव नौ बार लगातार जीतने वाली प्रथम महिला : सुमित्रा सिंह
राजस्थान की प्रथम महिला मुख्य सचिव : कुशल सिंह
जाट ऑफिसर्स सोशल फोरम की ओर से हर वर्ष की तरह इस बार भी दीपावली मिलन - 2009 का आयोजन किया जा रहा है। 25 अक्टूबर, 2009 को राजस्थान जाट समाज संस्थान, सेक्टर-4, विद्याधर नगर, जयपुर में शाम 5 बजे आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर से जुझारू जाट अधिकारी व उनके परिवारजन इकट्ठा हो रहे हैं।
जुझारू जाट की ओर से विश्वभर के जाट बंधुओं को दीपावली की शुभकामनाएं।
विश्व डिस्कस थ्रो में 15वीं रैंक हासिल करना खुद एक खिताब जैसा है। उन्हें चुरू जिले की शान कहा जा सकता है। राजस्थान के चुरू जिले के गागरियावास गांव से ताल्लुक रखने वाली कृष्णा पूनिया जाट बेटियों के लिए मिसाल हैं। सन् 2000 के वो दोनों स्वर्ण पदक कृष्णा पूनिया की जिंदगी में अहम बन गए, जो उन्होंने अपनी पढ़ाई के दौरान ही चटक लिए थे। अमृतसर में आयोजित ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में कृष्णा ने 46.14 मीटर डिस्कस थ्रो के साथ स्वर्ण पदक चटका और इसी साल नेशनल स्पोर्ट्स फेस्टिवल फॉर वुमन, जयपुर में 47.70 मीटर थ्रो के साथ एक और स्वर्ण पदक उनक झोली में आया। ...बस फिर पूनिया ने कभी पलट कर नहीं देखा।
आज शेखावाटी के गांवों की हर बेटी कृष्णा पूनिया में एक सपना तलाशती है और देश की जाने कितनी ही बेटियां ऐसी हैं, जो उन्हीं की तरह अपने घर, परिवार का मान बढ़ाने का सपना संजो रही हैं। ...और उस सपने को सच करने में जुटी हुई हैं। सही मायने में देखा जाए, तो कृष्णा पूनिया डिस्कस थ्रो की दुनिया में ऐसा कमाल कर रही हैं, जो आने वाले हर दौर में बेटियों को प्रोत्साहित करता रहेगा।
राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 7 स्वर्ण, 3 सिल्वर और 4 ब्रोंज पदक हासिल करने वाली कृष्णा पूनिया का नाम अंतरराष्ट्रीय डिस्कस थ्रो में अदब से लिया जाता है। कृष्णा पूनिया ने 16 अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं जिनमें बिजिंग में आयोजित ओलंपिक 2008 शामिल है, में अपने प्रदर्शन दुनियाभर का ध्यान खींचा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं :
1.ओलंपिक, बिजिंग, चीन - 2008 (58.23 मीटर)
2.एनुअल थ्रो मीट, केलिफोर्निया, अमेरिका - 2008 (63.41 मीटर)
3.एस.ए.सी. रैली, केलिफोर्निया, अमेरिका - 2008 (59.04 मीटर)
4.वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप, ओसाका, जापान - 2007 (57.70 मीटर)
5.17वीं एशियन चैंपियनशिप, अम्मान, जॉर्डन - 2007 (58.23 मीटर)
6.15वें एशियन गेम्स, दोहा, कतर - 2006 (61.53 मीटर)
7.कॉमनवेल्थ गेम्स, मेलबॉर्न, ऑस्टे्रलिया - 2006 (58.78 मीटर)
8. एशियन ग्रांड प्रिक्स, बैंकॉक, थाईलैंड - 2006
9. एशियन ग्रांड प्रिक्स, बंगलुरू - 2006
10. एशियन ग्रांड प्रिक्स, पूना - 2006
11.ए.एफ.आई. सलवान इंटरनेशनल थ्रो मीट, दिल्ली - 2006
12. 16वीं एशियन चैंपियनशिप, दक्षिण कोरिया - 2005
13.एशियन ग्रांड प्रिक्स, इंडोनेशिया - 2005
14. एशियन ग्रांड प्रिक्स, सिंगापुर - 2005
15.एशियन ग्रांड प्रिक्स, थाईलैंड - 2005
16. 9वें एस.ए.एफ गेम्स, इस्लामाबाद, पाकिस्तान - 2005
मुख्य पुरस्कार : 1. महाराणा प्रताप पुरस्कार, राजस्थान सरकार 2.भीम पुरस्कार, हरियाणा सरकार 3.महाराणा मेवाड़ पुरस्कार, मेवाड़ फाउंडेशन, उदयपुर 4. भवानी सिंह सम्मान, राजपरिवार, जयपुर
कृष्णा जी के पति विजेन्द्र पूनिया, कृष्णा जी के कोच भी हैं। दोनों ही भारतीय रेलवे में कार्यरत भी हैं। विजेन्द्र जी, कृष्णा जी और उनके पूरे परिवार को जुझारू जाट की ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं।
कृष्णा जी को बधाई देने के लिए :-
फोन और एसएमएस करें - 09217795059 या
ई-मेल करें- (kpoonia75@yahoo.com)
या ई-मेल करें- (contact@sohanjakhar.com)
गत चार वर्षों में बालिका शिक्षा को लेकर किए गए उत्कृष्ट कार्यों और योगदान के जरिए राजबाला चौधरी स्थानीय इलाके में मिसाल कायम की है। इस सम्मान समारोह में अध्यक्षता राजस्थान आवासन मंडल के सचिव बद्रीनारायण जाट ने की। विशिष्ट अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में भारतीय किसान संघ के प्रदेश सहमंत्री बद्रीनारायण चौधरी, पूर्व उप जिला प्रमुख बजरंग लाल बेनीवाल, कुंभाराम चौधरी, डॉ। सरोज सिंह, संयोजक हरिराम किवाड़ा, केदार चौधरी, खिडग़ी जीएसएस अध्यक्ष प्रभु चौधरी भी शामिल हुए और अपने विचार व्यक्त किए।
कम समय में बालिका शिक्षा को स्थानीय इलाके में ऊंचाइयां प्रदान करने वाली राजबाला चौधरी को जुझारू जाट की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं।
इसी जुझारूपन से प्रभावित होकर, अपने लोगों की बात, अपने लोगों तक पहुंचाने के लिए यह कम्यूनिटी ब्लॉग शुरू किया गया है। यह स्वतंत्र मंच है। स्वतंत्रता विचारों की, जिज्ञासाओं की, लेखन की, इतिहास बुनने- बनाने की। इस स्वतंत्र मंच पर अपनों से परिचित करवाएं। हिंदी ब्लॉगिंग आप सबको मुबारक हो।